Wednesday, March 11, 2015

पांचवा पात्र...रवि

रवि मतलब सूरज... जो आते ही उजाला कर देता है. चाहे कितना ही अंधकार हो सूरज की एक किरण घोर काले अन्धकार को ढेर कर देती है. मेरे छोटे भाई के जाने के बाद उसको मैं हर किसी में तलाशने की जो असफल कोशिश करती थी आखिर वो रवि के आने पर पूरी हो गई.

मेरे दिल्ली आने के बाद मुझे जो बहुत अच्छे दोस्त मिलें उनमें से सबसे प्यारा दोस्त मिला रवि जिसकी अच्छाई और स्नेह भरे व्यवहार को पा कर मैं स्वार्थी हो गई और उसे भाई मान लिया. दरअसल जिस दिन उससे मेरी पहली मुलाकात हुई उसी दिन रवि से मिल मुझे वाशू की याद आई. रवि का व्यक्तित्व अधिकतर वाशू से मिलता है और यही मुख्य वजह रही जो मैंने रवि को भाई माना.
रवि आज कल की जनरेशन में पुराने ज़माने का मॉडल है. जिसे शुद्ध भारतीय, देशी घी, संस्कारी, ज़िम्मेदार और  मम्मी का बेटा कहेंगे. आज के दौर में ऐसे लड़के न के बराबर हैं इसलियें रवि से मिल बहुत अच्छी वाली फीलिंग हुई.
किसी की मदद करनी हो और रवि व्यस्त हो, ये दयालुनिधि सब छोड़ कर उसकी मदद करेंगे. मेरी एक ही अच्छी दोस्त हैं उनके अलावा अगर कोई अच्छा दोस्त हुआ है तो रवि. रवि के मिलने से दोहरा स्नेह मिला भाई के साथ समझदार दोस्त का स्नेह फ्री.  हा हा हा ...

रवि जानता है उसकी मेरी ज़िन्दगी में क्या अहमियत है. वो बेहतर बेटा, बहुत अच्छा भाई और कमाल का दोस्त है. इन सब से ऊपर रवि बहुत अच्छा इन्सान है. रवि का मुझे मिलना वाशू के जाने के कई सालों बाद....मुझे ये एहसास दिलाता है की वो जो कहीं ऊपर आसमां में है वो हमें देख रहा है, सुन रहा है. जिसे खबर है कि हम रोतें हैं, किसी के जाने के बाद उसको याद करतें हैं ...उसको वापस भेज देने की उससे दुआ मांगते हैं. तब वो ये सब सुनता है. वो देर-सवेर ही सही पर हम पर करम करता है.

मेरी ज़िन्दगी का सबसे प्यारा ईश्वर का दिया तोहफ़ा मेरा छोटा भाई था और अब 'है भी' .....
ज़िन्दगी कितनी भी कड़वाहट क्यों न दे पर उसके साथ वो कुछ मीठे एहसास भी देती है जिससे हमारी ज़िन्दगी का संतुलन बना रहता है. एक भाई गया और उसी के बदले में उसके जैसा दूसरा मिल भी गया. मैं खुश हूं की एक बार फिर मुझे मेरा भाई मिला.
बुरे अनुभवों का शायद ढेर है ज़िन्दगी पर इन्ही ढेरों पर चढ़ कर खुशियों को हमसे मिलाने आती है...ज़िन्दगी रोज़ाना.

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